Sunday 14 April 2013

तस्वीर हो गया...

तस्वीर बनाते बनाते खुद तस्वीर हो गया
वो शख्स मुझे कितना अजीज हो गया

आँखों में बंद था मोती बनकर
जाने कैसे मेरे आरिज़ पे ढलक गया

आज क्यूँ ये आँखें खाली खाली हैं
कौन सा मेहमां आज रुखसत हो गया

शरारत भरी बातों से देता था दिल पे दस्तक
मेरे दिल को वो कितना सूना कर गया

जिस्म में कोई हरकत होती नहीं जाने क्यूँ
रूह बनकर रह रहा था कोई
जाने कहाँ खो गया

खुद को देखती हूँ बड़े गौर से
सब कुछ ठीक ही लगता है

फिर ये कौन सा हिस्सा है
जो मुझमें कम हो गया !

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