आज जाने ये क्या बात हुई
यूँ लगा दिन में रात हुई
कोई दौर बदला
या बदली हैं फिजायें सभी
तुम्हें छू के आयीं हैं
सर्द सर्द हवाएं सभी
दिल में लहराता है
हर लम्हा मखमली
मुझे छू जाता है
ये एहसास...
तू संग है तू है यहीं कहीं
हर आहट पे रुक जाती हूँ
तुझे छूती हूँ पर
छू नहीं पाती हूँ
रुकते रुकते क़दमों से
बढ़ जाती हूँ
हर लम्हा अश्क की बरसात हुई
पर ये क्या बात हुई
क्यूँ लगा दिन में रात हुई !
यूँ लगा दिन में रात हुई
कोई दौर बदला
या बदली हैं फिजायें सभी
तुम्हें छू के आयीं हैं
सर्द सर्द हवाएं सभी
दिल में लहराता है
हर लम्हा मखमली
मुझे छू जाता है
ये एहसास...
तू संग है तू है यहीं कहीं
हर आहट पे रुक जाती हूँ
तुझे छूती हूँ पर
छू नहीं पाती हूँ
रुकते रुकते क़दमों से
बढ़ जाती हूँ
हर लम्हा अश्क की बरसात हुई
पर ये क्या बात हुई
क्यूँ लगा दिन में रात हुई !
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