Thursday 18 September 2014

क्या दूँ तुमको...

आज और क्या दूँ तुमको 
इस यक़ीन के सिवा 
रहूँगी यूँ ही सदा तेरे पास में 
तेरे साये की तरह,

तेरी हँसी से जो आ जाती है 
मेरे होठों पे मुस्कुराहट 
तुझे देख कर जो मिल जाता है 
मेरे दिल को सुक़ून,

तेरी यादों से जो भींग जाती हैं 
जहन की दीवारें मेरी 
तेरी आहट से जो थम जाती हैं 
नज़रें मेरी,

ये सब हैं चश्मदीद उन पलों के 
जो गुज़रते हैं तेरे संग,

यही कुछ लम्हें हैं 
जो चुरा लेती हूँ वक़्त से,

कुछ सहेज़ लिए हैं मैनें 
कुछ तुम भी रख लेना !


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