Saturday 14 March 2015

टांग रखे हैं सपने...


टांग रखे हैं खूंटी से सपने दीवारों पर
जब जी चाहे इन्हें देख लिया करती हूँ

कोई आ जाए कहीं इनसे मिलने 
इस ख्याल से...
हर रोज़ इन्हें साफ़ किया करती हूँ।।

No comments:

Post a Comment