Wednesday 4 December 2013

यूँ तो ज़माने में...


यूँ तो ज़माने में हमारे 
दुश्मन बहुत हैं 
मगर चीरते हैं दिल वही अक्सर 
जो दिल में रहते हैं,

जख्म देकर 
जहन की परत परत नोंच कर 
आँख में क्यूँ हैं आँसू 
अब सबब पूछते हैं,

यूँ तो शिकवा नहीं उनसे 
शिकायत नहीं कोई 
खंजर है उनकी फितरत 
हम तो मरहम ढूंढते हैं,

इश्क़ मुहब्बत क़ुरबत में 
कुछ भी हासिल नहीं यारों 
ये तो वो जोंक हैं 
जो धीरे धीरे दिल का 
लहू चूसते हैं !
 

तेरी आँखें...

तेरी आँखें जो देखती हैं मुझको यूँ 
जमीं पर जन्नत का गुमां होता है 
उमड़ता है जो तूफां सा दिल में 
जरा गौर से देख 
मेरी आँखों से बयां होता है !

तेरी तस्वीर को...

तेरी तस्वीर को सीने से लगा रखा है 
तुझको यूँ बाहों में छुपा रखा है,

लबों पे आकर ठहरी है जो प्यास उसे 
तबस्सुम से किनारे पे दबा रखा है,

कभी मिल जाये मुझसे यूँ ही तन्हाई में 
हर पल दिल ये तमन्ना करता है,

बेचैन सी इन निगाहों को 
पलकों से झुका रखा है,

तुझको यूँ बाहों में छुपा रखा है !