Saturday 28 September 2013

जिंदगी के गलियारे से...

जिंदगी के गलियारे  से 
गुज़र गये वो पलछिन
 ढलते सूरज के संग बीतती शामें 
लहराती हवाओं में साँय साँय आवाजें,

अभी कुछ लम्हा ही तो चली थी 
कुछ पहर बिता के तेरे साथ 
हाथ में लिये तेरा मखमली हाथ 
जिसके स्पर्श मात्र से 
सुकून हर कोने कोने में भर जाता था 
हर रोयां रोयां बदन का खिल जाता था,

आज कुछ ऐसी ही ठंडक मिली है 
हवाओं में कुछ वही बात है 
निकल आयी हूँ कुछ दूर तेरे संग 
छू रही हैं अलकों को ये ठंडी हवा 
और ताज़गी दे रहा है चेहरे को 
ये नूर तेरा,

जो बरस रहा है तेरी आँखों से 
भिगो रहा है मेरा अंतर्मन 
मेरे हर कदम पर बढता 
तेरा हर एक कदम 
मेरे हाथों में तेरा हाथ 
और इन काली घटाओं से 
उतरता हुआ माहताब,

ये सब गवाह हैं उन पलों के 
जो बीत रहे हैं तेरे संग 
जिन्दगी के गलियारे से 
गुज़र रहे हैं ये पलछिन !


मेरे हबीब...


तेरा अक्स आँखों में उतरता है जब 
गोया मेरी हर धड़कन मचल जाती है,

जब जब देखती हूँ मैं आइना 
मुझे तेरी सूरत नज़र आती है,

ये इश्क़ ए जुनूं है या दीवानगी मेरी 
हर सू तेरी खुश्बू बिखर जाती है,

मेरे हबीब ये कैसा जादू है तेरा 
मेरी रूह तेरे एहसास में पिघलती जाती है,

रात भर उतरता है चाँद मेरे पहलू में 
चांदनी तेरा लम्स बनकर छू जाती है,

ये जमीं आसमां की बातें जुदा हैं मगर 
दिल को साँसें इन्हीं ख़्वाबों से आती हैं,

दिन गुजरता है तेरे पहलू में 
रात तेरे ख़्वाबों में गुजर जाती है !

ढल गयी आज की ये शाम...


ढल गयी आज की ये शाम 
दे गयी कुछ ख्वाब आँखों में 

कुछ एहसास जिन्होंने 
छू लिया मुझको 

ना हुई कोई हलचल 
ना कोई आहट 

फिर भी जैसे कुछ 
समाया है मुझमें 

वो डूबता हुआ सूरज 
अभी तो था नज़रों के सामने 

हाँ अभी तो था 
ना जाने कहाँ डूब गया 

लेकिन फिर आएगा कल ये 
लेकर एक नयी सहर 
लेकर कुछ नये ख्वाब !

ये यादें...


अपनी यादों में झाँका तो पाया मैंने 
सब कुछ है बिखरा पड़ा यहीं कहीं 
वो सारे मंजर,वो बातें 
वो सपने टूटे से मगर 
चंद निशां उनके भी मिल जाते हैं,
ये यादें
हाँ ये यादें भी कितनी अजीब होती हैं 
जिन्दा रखती हैं हमको अपने जहां में,
एक ऐसा जहां 
जहाँ हर एहसास धुंधला धुंधला सा 
मगर अपना सा महसूस होता है !

सोच क्या है...


सोच क्या है ...
एक कतरा ख्याल भरा 
एक पल ख्व़ाब भरा 
जीवन को दे दे आस कभी 
आँखों में भर दे प्यास कभी,

प्यास क्या है ...

एक बूँद एहसासों की 
एक कसक अरमानों की 
लबों को दे दे इंतज़ार कभी 
दिल में भर दे आस कभी,

आस क्या है ...

एक ज्योति विश्वास भरी 
एक साथी निस्वार्थ भरी 
जिन्दगी को दे दे सहारा कभी 
डूबते को दे दे किनारा कभी !


मेरी दुनिया...



मेरे सपने बसते हैं जहाँ 
वो दुनिया जो सिर्फ मेरी है 
मेरी सारी हसरतों के निशां 
आज भी मुझे अक्सर 
वहीं मिल जाया करते हैं,

जब जब गुजरती हूँ 
यादों की उन गलियों से 
मेरी वफाओ के वो 
अनगिनत बुझे हुए दिये 
आज भी मुझे अक्सर 
वहीं दिख जाया करते हैं,

वक़्त के इन पथरीले रास्तों ने 
मेरी दुनिया को भी 
पथरीली करना चाहा,

मुझे खुद से जुदा करके 
मुझे भी इस पत्थर की दुनिया का 
इक हिस्सा करना चाहा,

पर मेरे अस्तित्व के ये चिन्ह 
मेरे दिल से जुड़े ये मोम के रिश्ते 
आज भी मुझे अक्सर 
मेरी दुनिया में ले जाया करते हैं !

टूटे हुए ख्वाब...


आँखों में तैरते हैं जो 
पानी के मानिन्द 
आँसू नहीं हैं ये 
ये टूटे हुए ख्वाबों के 
चंद टुकड़े हैं,

ये आँखों में तैरते हुए ख्वाब 
बह ना जायें कहीं 
इस डर से 
पलकों को नहीं झपकाया मैंने,

बुत बनाकर जिस्म को अपने 
भीगीं आँखों में फिर 
इक ख्वाब सजाया मैंने,
लेकिन ये गीला गीला सा ख्वाब 
गल ना जाये कहीं 
किसी पुराने कागज़ के मानिन्द,
इस डर से 
अपनी गीली आँखों को 
जिन्दगी की झुलसती धूप में 
मैं रात भर सुखाती रही !