उम्मीद की लौ जल रही अभी
दिल भी मुस्कुराने को है
लगता है तू आने को हैं
खुशनुमा हैं वादियां ये नज़ारे सभी
दिल कोई तरन्नुम गुनगुनाने को है
लगता है तू आने को है
बेवजह ही सही तुझसे झगड़ना भी है
हाल-ए-दिल तुझे बयां करना भी है
आँखों आँखों में दीदार तेरा करना भी है
आँखें तेरी फिर कोई सितम ढाने को है
लगता है तू आने को है
मुदद्तें हुई तेरा दीदार किये हुए
सदियाँ हैं बीती तेरा इंतज़ार किये हुए
सब्र मेरा अब रंग लाने को है
लगता है तू आने को है !
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