Tuesday 31 July 2012

इक सदा पे तेरी ...

इक सदा पे तेरी 
यूं पिघल जाती हूँ मैं 
तू प्यार की तपिश 
और मैं ...
मोम की गुड़िया हूँ जैसे 


शाम ढलती है जब...

शाम ढलती है जब
और जब तारे मुस्कुराते हैं
पलकों पे तेरी यादों के
चंद अश्क उभर आते हैं
नहीं हूं तन्हा मगर फिर भी
उदास है दिल
किस सोच में गुम है ना जाने
किस तलाश में है दिल
अब तुम आओ तो
मुस्कुराने की वजह मिले
फिर कोई गीत
गुनगुनाने की वजह मिले
ये शाम भी आती है चुपचाप
और चुपचाप ही ढल जाती है
अब ना ये कोई ख्वाब
मेरी आंखों में लाती है
ये मंजर भी मुझे मेरी तरह
गुमसुम ही नजर आते हैं
जब ढलती है ये शाम
और जब तारे मुस्कुराते हैं !

Monday 30 July 2012

आंसू...

आंसुओं के गिरने की आवाज़ कहां होती है
टप से गिर जाते हैं बस
बिना कोई शोर मचाये
क्यूं इनके साथ ये दर्द भी बह जाता नहीं
सुलगता रहता है हर पल दिल में
सांस के साथ बाहर निकल जाता क्यूं नहीं !

Sunday 29 July 2012

कल रात...

कल रात जब टूटीं थी सांसे
दिल से उठा था धुआँ सा
जाने कहां लगी थी आग
बुझा ना पायी जिसे अश्क की बरसात,
कल रात जब जिस्म से जां जुदा हुई
लगा यूं कि जिन्दगी खो गयी
बुझ गये सारे दीये अरमानों के
दिल की मेरे चांदनी खो गयी,
कल रात जब डुबोया इन जज्बातों ने मुझको
उलझनों की गहराई में जाकर छोड़ दिया
और जहन मेरा पटकता रहा अपने हाथ पैर
फिर भी ना मिल सका बाहर निकलने का रास्ता,
कल रात जब टूट गयीं सब्र की सारी हदें
खुद पर रहा ना बस मेरा
बहा ले गया ये तूफां मुझको
ना मिल सका मुझे फिर अपना पता !

मुझको भी दो पंख लगा दो...


मुझको भी दो पंख लगा दो
पंछी बनकर उड़ जाऊँगी
रस्मों कसमों की ये कैद तोड़कर
तेरे पास चली आऊँगी
इन बंधनो में बंधे बंधे
जी मेरा घबराता है
अपना खुला आसमां देखने को
मन मेरा ललचाता है
छोड़ कर ये सारी दुनिया
दूर कहीं उड़ जाऊँगी
मुझको भी दो पंख लगा दो
पंछी बनकर उड़ जाऊँगी !

तुम मिलो चाहे न मिलो...

तुम मिलो चाहे ना मिलो
ये चाहत तुम्हारी मेरे दिल में
सदा यूं ही रहेगी
ये दिल में उठती जज्बात की लहरें
यूं ही उठती रहेंगी ,
तुम मिलो चाहे ना मिलो
ये आंखें जो तेरी
इक नज़र की मुन्तज़िर हैं
ये जो बरबस यूं ही छलक जाया करती हैं
इन आंखो की नमी
यूं ही रहेगी ,
तुम मिलो चाहे ना मिलो
तुम्हारे एहसास जो मेरी रुह को
हर वक़्त तरोताज़ा रखते हैं
तुम्हारे ख्याल जो जहन को
गुदगुदाया करते हैं
यूं ही रहेंगे ,
तुम मिलो चाहे ना मिलो
ये सबा जो तेरा स्पर्श बनकर
मुझे छू जाया करती है
ये कानो में कुछ गुनगुनाया करती है
यूं ही बहती रहेगी ,
तुम मिलो चाहे ना मिलो
ये रिमझिम सी बौछारें
छम छम करती तुम्हें याद दिलाया करती हैं
ये हर पल गीत नया सुनाया करती हैं
यूं ही बरसती रहेंगी ,
तुम मिलो चाहे अब कभी ना मिलो
तुम्हारी धड़कन मेरे दिल में
यूं ही धड़कती रहेगी !