वो मोड़,
जिससे मुड़ते वक़्त तुमने
इक बार मुझे मुड़ कर नहीं देखा
आज भी गुजरता है वो मंज़र
मेरी आँखों के रास्ते से
आज भी रूह मेरी छटपटाती है
तेरा इक लम्स पाने को
आज भी धड़कनें मचल जाती हैं
सुनने को तेरी सदा
जानती हूँ मैं ये भी
गुज़रा वक़्त लौटता नही कभी
रेत की तरह जो फिसला है
मेरे हाथों से
अब न समेत पाऊँगी में उसे कभी
फिर भी ये आँखें नम हो जाती हैं
याद जब तेरी आती है
फिर जां पे बन आती है
याद जब तेरी आती है !
जिससे मुड़ते वक़्त तुमने
इक बार मुझे मुड़ कर नहीं देखा
आज भी गुजरता है वो मंज़र
मेरी आँखों के रास्ते से
आज भी रूह मेरी छटपटाती है
तेरा इक लम्स पाने को
आज भी धड़कनें मचल जाती हैं
सुनने को तेरी सदा
जानती हूँ मैं ये भी
गुज़रा वक़्त लौटता नही कभी
रेत की तरह जो फिसला है
मेरे हाथों से
अब न समेत पाऊँगी में उसे कभी
फिर भी ये आँखें नम हो जाती हैं
याद जब तेरी आती है
फिर जां पे बन आती है
याद जब तेरी आती है !