Sunday 21 April 2013

नन्हें नन्हें लफ्ज़...

सोच के दरवाज़े से झांकते हैं
नन्हे नन्हे लफ्ज़
कुछ सकुचाते कुछ इतराते
कुछ जिन्दगी को टटोलते
कुछ मासूम कुछ नटखट लफ्ज़
नन्हे नन्हे हाथों से थामते
उँगलियाँ मेरी
बहलाते कभी मन
कभी रूठ जाते ये लफ्ज़
दे जाते कभी उमंग जिन्दगी को
कभी मायूस कर जाते
ये लफ्ज़
सोच के दरवाज़े से झांकते हैं
 नन्हे नन्हे लफ्ज़ !


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