झिलमिलाती हुयी पलकों से
ओस जब टपकी
लब थरथराये पर कुछ कह न पाए
खामोश थी जुबां
तूफां था निगाहों में
आँखों ने किये हाले दिल बयां
जिसे तुम सुन न पाए
बोझिल सी निगाहों से
तुमको जो किया रुखसत
टूट गए हम फिर सिमट ना पाए
सुकून-ए-दिल खोया
धड़कनें भी रूठीं
सांसें भी रुकी पर
हम मर न पाए
बेजान से एक बुत को जान तुमने दी थी
जान फिर जब निकली तो बेजान हो ना पाए
ओस जब टपकी
लब थरथराये पर कुछ कह न पाए
खामोश थी जुबां
तूफां था निगाहों में
आँखों ने किये हाले दिल बयां
जिसे तुम सुन न पाए
बोझिल सी निगाहों से
तुमको जो किया रुखसत
टूट गए हम फिर सिमट ना पाए
सुकून-ए-दिल खोया
धड़कनें भी रूठीं
सांसें भी रुकी पर
हम मर न पाए
बेजान से एक बुत को जान तुमने दी थी
जान फिर जब निकली तो बेजान हो ना पाए
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