Tuesday 7 August 2012

ख़ामोश दिल की तनहाइयाँ बोलती हैं

खामोश दिल की तन्हाईयाँ  बोलती हैं...

खामोश दिल की तन्हाइयां बोलती हैं
कोई नहीं सुनता जब परछाइयां बोलती हैं,
टूट रहा जो मुझमें ये क्या है
समझ ना पाऊं मैं
गुमसुम हैं निगाहें मेरी
फिर किसकी सदाएं बोलती हैं,
भींग जाती हैं पलकें यादों में तेरी
तकती रहती हैं तेरा रास्ता
उमड़ रहा है तूफां सा दिल में
धड़कनों की झनझनाहट बोलती हैं,
टूट रहा है जो दफ़्न हो जायेगा मुझमें
चुपचाप गुम हो जायेगा मुझमें
ना होती है दस्तक दिल पे कोई
ना जुंबिश होती है कहीं
हर सू हैं छाई खामोशियाँ
बस सन्नाटों की सदाएं बोलती हैं !

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