Tuesday 21 August 2012

तन्हाई में अक्सर जब हम...

तन्हाई में अकसर जब हम
बातें तुमसे करते हैं
चुपके चुपके पलकों की ओट से
तुमको देखा करते हैं

मीठी मीठी बातें तुम्हारी
मुस्कराहट होठों  पे लाती हैं
दिल के सब जज्बात उमड़ कर
आँखों से बहने लगते हैं


उफ़ उस नाज़ुक से इक पल में
कितनी बेबस हो जाती हूँ
काँधे पे सर रख कर तुम्हारे
आँखें मूँद कर सो जाती हूँ 


फिर उस सपनों की नगरी में
तुम मुझसे मिलने आते हो
देकर खुशियाँ दिल को मेरे
ना जाने कहाँ खो जाते हो...

हैं ये कितने खूबसूरत से पल
जो हैं तेरे प्यार से रौशन
सपने के जैसे हैं
पर हैं ये मेरे
ये पल
जो हैं तेरे प्यार से रौशन !

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