Sunday 29 July 2012

तुम मिलो चाहे न मिलो...

तुम मिलो चाहे ना मिलो
ये चाहत तुम्हारी मेरे दिल में
सदा यूं ही रहेगी
ये दिल में उठती जज्बात की लहरें
यूं ही उठती रहेंगी ,
तुम मिलो चाहे ना मिलो
ये आंखें जो तेरी
इक नज़र की मुन्तज़िर हैं
ये जो बरबस यूं ही छलक जाया करती हैं
इन आंखो की नमी
यूं ही रहेगी ,
तुम मिलो चाहे ना मिलो
तुम्हारे एहसास जो मेरी रुह को
हर वक़्त तरोताज़ा रखते हैं
तुम्हारे ख्याल जो जहन को
गुदगुदाया करते हैं
यूं ही रहेंगे ,
तुम मिलो चाहे ना मिलो
ये सबा जो तेरा स्पर्श बनकर
मुझे छू जाया करती है
ये कानो में कुछ गुनगुनाया करती है
यूं ही बहती रहेगी ,
तुम मिलो चाहे ना मिलो
ये रिमझिम सी बौछारें
छम छम करती तुम्हें याद दिलाया करती हैं
ये हर पल गीत नया सुनाया करती हैं
यूं ही बरसती रहेंगी ,
तुम मिलो चाहे अब कभी ना मिलो
तुम्हारी धड़कन मेरे दिल में
यूं ही धड़कती रहेगी !

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