मुझको भी दो पंख लगा दो
पंछी बनकर उड़ जाऊँगी
रस्मों कसमों की ये कैद तोड़कर
तेरे पास चली आऊँगी
इन बंधनो में बंधे बंधे
जी मेरा घबराता है
अपना खुला आसमां देखने को
मन मेरा ललचाता है
छोड़ कर ये सारी दुनिया
दूर कहीं उड़ जाऊँगी
मुझको भी दो पंख लगा दो
पंछी बनकर उड़ जाऊँगी !
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