शाम ढलती है जब
और जब तारे मुस्कुराते हैं
पलकों पे तेरी यादों के
चंद अश्क उभर आते हैं
नहीं हूं तन्हा मगर फिर भी
उदास है दिल
किस सोच में गुम है ना जाने
किस तलाश में है दिल
अब तुम आओ तो
मुस्कुराने की वजह मिले
फिर कोई गीत
गुनगुनाने की वजह मिले
ये शाम भी आती है चुपचाप
और चुपचाप ही ढल जाती है
अब ना ये कोई ख्वाब
मेरी आंखों में लाती है
ये मंजर भी मुझे मेरी तरह
गुमसुम ही नजर आते हैं
जब ढलती है ये शाम
और जब तारे मुस्कुराते हैं !
और जब तारे मुस्कुराते हैं
पलकों पे तेरी यादों के
चंद अश्क उभर आते हैं
नहीं हूं तन्हा मगर फिर भी
उदास है दिल
किस सोच में गुम है ना जाने
किस तलाश में है दिल
अब तुम आओ तो
मुस्कुराने की वजह मिले
फिर कोई गीत
गुनगुनाने की वजह मिले
ये शाम भी आती है चुपचाप
और चुपचाप ही ढल जाती है
अब ना ये कोई ख्वाब
मेरी आंखों में लाती है
ये मंजर भी मुझे मेरी तरह
गुमसुम ही नजर आते हैं
जब ढलती है ये शाम
और जब तारे मुस्कुराते हैं !
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