कल रात जब टूटीं थी सांसे
दिल से उठा था धुआँ सा
जाने कहां लगी थी आग
बुझा ना पायी जिसे अश्क की बरसात,
कल रात जब जिस्म से जां जुदा हुई
लगा यूं कि जिन्दगी खो गयी
बुझ गये सारे दीये अरमानों के
दिल की मेरे चांदनी खो गयी,
कल रात जब डुबोया इन जज्बातों ने मुझको
उलझनों की गहराई में जाकर छोड़ दिया
और जहन मेरा पटकता रहा अपने हाथ पैर
फिर भी ना मिल सका बाहर निकलने का रास्ता,
कल रात जब टूट गयीं सब्र की सारी हदें
खुद पर रहा ना बस मेरा
बहा ले गया ये तूफां मुझको
ना मिल सका मुझे फिर अपना पता !
दिल से उठा था धुआँ सा
जाने कहां लगी थी आग
बुझा ना पायी जिसे अश्क की बरसात,
कल रात जब जिस्म से जां जुदा हुई
लगा यूं कि जिन्दगी खो गयी
बुझ गये सारे दीये अरमानों के
दिल की मेरे चांदनी खो गयी,
कल रात जब डुबोया इन जज्बातों ने मुझको
उलझनों की गहराई में जाकर छोड़ दिया
और जहन मेरा पटकता रहा अपने हाथ पैर
फिर भी ना मिल सका बाहर निकलने का रास्ता,
कल रात जब टूट गयीं सब्र की सारी हदें
खुद पर रहा ना बस मेरा
बहा ले गया ये तूफां मुझको
ना मिल सका मुझे फिर अपना पता !
No comments:
Post a Comment