Saturday 28 September 2013

मेरी दुनिया...



मेरे सपने बसते हैं जहाँ 
वो दुनिया जो सिर्फ मेरी है 
मेरी सारी हसरतों के निशां 
आज भी मुझे अक्सर 
वहीं मिल जाया करते हैं,

जब जब गुजरती हूँ 
यादों की उन गलियों से 
मेरी वफाओ के वो 
अनगिनत बुझे हुए दिये 
आज भी मुझे अक्सर 
वहीं दिख जाया करते हैं,

वक़्त के इन पथरीले रास्तों ने 
मेरी दुनिया को भी 
पथरीली करना चाहा,

मुझे खुद से जुदा करके 
मुझे भी इस पत्थर की दुनिया का 
इक हिस्सा करना चाहा,

पर मेरे अस्तित्व के ये चिन्ह 
मेरे दिल से जुड़े ये मोम के रिश्ते 
आज भी मुझे अक्सर 
मेरी दुनिया में ले जाया करते हैं !

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