Saturday 28 September 2013

मेरे हबीब...


तेरा अक्स आँखों में उतरता है जब 
गोया मेरी हर धड़कन मचल जाती है,

जब जब देखती हूँ मैं आइना 
मुझे तेरी सूरत नज़र आती है,

ये इश्क़ ए जुनूं है या दीवानगी मेरी 
हर सू तेरी खुश्बू बिखर जाती है,

मेरे हबीब ये कैसा जादू है तेरा 
मेरी रूह तेरे एहसास में पिघलती जाती है,

रात भर उतरता है चाँद मेरे पहलू में 
चांदनी तेरा लम्स बनकर छू जाती है,

ये जमीं आसमां की बातें जुदा हैं मगर 
दिल को साँसें इन्हीं ख़्वाबों से आती हैं,

दिन गुजरता है तेरे पहलू में 
रात तेरे ख़्वाबों में गुजर जाती है !

No comments:

Post a Comment