खुला खुला आसमां
खुला खुला हर एहसास
कुदरत के नजारों में पाया
ख़ूबसूरती का हर एक राज़
उगते सूरज की लालिमा
ठंडी ठंडी वादियाँ
सुनहरी लगती हर एक शाम
रेशम में लिपटी हर एक रात
दूर उड़ते अब्र के टुकड़े
बाहों में आने को बेताब
इठलाती सर्द हवा ये बोले
छू सको तो छूलो मुझे एक बार
पल पल रंग बदलता मौसम
खेल रहा आँख मिचौली
रिमझिम रिमझिम बारिश की बूँदें
साथ हमारे वो भी हो लीं
जमीं हो आसमां पर
आसमां हाथों में हमारे
कितने सुन्दर कितने प्यारे
ये सारे जन्नत के नज़ारे !
खुला खुला हर एहसास
कुदरत के नजारों में पाया
ख़ूबसूरती का हर एक राज़
उगते सूरज की लालिमा
ठंडी ठंडी वादियाँ
सुनहरी लगती हर एक शाम
रेशम में लिपटी हर एक रात
दूर उड़ते अब्र के टुकड़े
बाहों में आने को बेताब
इठलाती सर्द हवा ये बोले
छू सको तो छूलो मुझे एक बार
पल पल रंग बदलता मौसम
खेल रहा आँख मिचौली
रिमझिम रिमझिम बारिश की बूँदें
साथ हमारे वो भी हो लीं
जमीं हो आसमां पर
आसमां हाथों में हमारे
कितने सुन्दर कितने प्यारे
ये सारे जन्नत के नज़ारे !
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