Wednesday, 17 September 2014

मेरे इश्क़ का हासिल तुम हो...

मेरे इश्क़ का हासिल तुम हो 
मेरा इश्क़ किसी की जागीर नहीं 
ना है उल्फ़त में बँधा दिल किसी की 
मुझे तो मुझसे भी मुहब्बत नहीं,

पाश-पाश हुआ है शीशा-ए-दिल मेरा 
रंज मुझको मगर फिर भी नहीं 
उठते हैं दिल से शरारे हर सू 
सुलगता मेरा जिस्म फिर भी नहीं,

ये किस तीरगी ने लपेटा है मुझको 
मुद्दतें हुईं आफ़ताब देखे हुए 
जागती रहती हैं मेरे साथ रातें मेरी 
सदियां हैं बीती सुबह का ख़्वाब देखे हुए!

तेरी नज़दीकियों का असर...

"तेरी नज़दीकियों का असर यूँ हुआ है मुझ पर 
तेरी छुअन का असर ना जाने क्या होगा 
जो मिल गए कभी तन्हाई में तुझसे
क्या होगा हश्र -ए -दिल खुदा जाने"

तेरी आँखें...


तेरी आँखें उतर गयीं जो दिल में 
संभल ना पायी इक पल मैं 
जादू से तेरे…

बेकाबू धड़कनें मेरी 
दौड़ रहीं थीं बेइख्तियारी में 
ना जाने किस खुमारी में ,

लौट आयी हूँ मगर 
तुझको लिए साथ 
भर लायी हूँ अपनी आँखों में 
सहेज कर लम्हें कुछ ख़ास ,

खुद ही कुरेदती हूँ उनको 
खुद ही मुस्कुराती हूँ 
लम्हा लम्हा जब तुझको 
अपने करीब पाती हूँ ,

तेरी छुअन से फैली हैं 
इक बर्क सी बदन में 
तेरे हाथों की गर्माहट से 
पिघलती रही पल पल मैं ,
समेट रही हूँ कतरा कतरा 
बह गया है जो 
जर्रा जर्रा मेरे बदन का ,

पर हूँ इस ख्याल में  
बह गयी हूँ ये किस बहाव में
 मैं हूँ पर... 
मुझमें ना रहा सबकुछ मेरा
डूब गया है हर पल मेरा
तेरे तसव्वुर तेरे एहसास में…!


दिल...


ना कब्ज़ा करो यूँ ख्यालों पर मेरे 
है बड़ा गुस्ताख़ ये दिल 
है बहुत ही सरफिरा 
ना आयेगा फिर हाथों में मेरे 
इक बार जो ये मचल गया !

Wednesday, 4 December 2013

यूँ तो ज़माने में...


यूँ तो ज़माने में हमारे 
दुश्मन बहुत हैं 
मगर चीरते हैं दिल वही अक्सर 
जो दिल में रहते हैं,

जख्म देकर 
जहन की परत परत नोंच कर 
आँख में क्यूँ हैं आँसू 
अब सबब पूछते हैं,

यूँ तो शिकवा नहीं उनसे 
शिकायत नहीं कोई 
खंजर है उनकी फितरत 
हम तो मरहम ढूंढते हैं,

इश्क़ मुहब्बत क़ुरबत में 
कुछ भी हासिल नहीं यारों 
ये तो वो जोंक हैं 
जो धीरे धीरे दिल का 
लहू चूसते हैं !
 

तेरी आँखें...

तेरी आँखें जो देखती हैं मुझको यूँ 
जमीं पर जन्नत का गुमां होता है 
उमड़ता है जो तूफां सा दिल में 
जरा गौर से देख 
मेरी आँखों से बयां होता है !

तेरी तस्वीर को...

तेरी तस्वीर को सीने से लगा रखा है 
तुझको यूँ बाहों में छुपा रखा है,

लबों पे आकर ठहरी है जो प्यास उसे 
तबस्सुम से किनारे पे दबा रखा है,

कभी मिल जाये मुझसे यूँ ही तन्हाई में 
हर पल दिल ये तमन्ना करता है,

बेचैन सी इन निगाहों को 
पलकों से झुका रखा है,

तुझको यूँ बाहों में छुपा रखा है !